1. हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?
उत्तर:- भारत की आज़ादी की लड़ाई में हर धर्म और वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। इस कहानी में लेखक ने टुन्नू व दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से उस वर्ग को उभारने की कोशिश की है, जो समाज में हीन या उपेक्षित वर्ग के रूप में देखे जाते हैं। टुन्नू व दुलारी दोनों ही कजली गायक हैं। टुन्नू ने आज़ादी के लिए निकाले गए जलूसों में भाग लेकर व अपने प्राणों की आहूति देकर ये सिद्ध किया कि ये वर्ग मात्र नाचने या गाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं अपितु इनके मन में भी आज़ादी प्राप्त करने का जोश है। इसी तरह दुलारी द्वारा रेशमी साड़ियों को जलाने के लिए देना भी एक बहुत बड़ा कदम था तथा इसी तरह जलसे में बतौर गायिका जाना व उसमें नाचना-गाना उसके योगदान की ओर इशारा करता है। लेखक ने इस प्रकार समाज के उपेक्षित लोगों के योगदान को स्वतंत्रता के आंदोलन में महत्त्वपूर्ण माना हैं।
2. कठोर ह्रदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
उत्त्तर:- दुलारी अपने कठोर स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थी परन्तु दुलारी का स्वभाव नारियल की तरह था। वह एक अकेली स्त्री थी। इसलिए स्वयं की रक्षा हेतु वह कठोर आचरण करती थी। परन्तु अंदर से वह बहुत नरम दिल की स्त्री थी। टुन्नू, जो उसे प्रेम करता था, उसके लिए उसके ह्रदय में बहुत खास स्थान था परन्तु वह हमेशा टुन्नू को दुतकारती रहती थी क्योंकि टुन्नू उससे उम्र में बहुत छोटा था। परन्तु उसके मन में टुन्नू का एक अलग ही स्थान था उसने जान लिया था कि टुन्नू उसके शरीर का नहीं, बल्कि उसकी गायन-कला का प्रेमी था। फेंकू द्वारा टुन्नू की मृत्यु का समाचार पाकर उसका ह्रदय दर्द से फट पड़ा और आँखों से आँसूओं की धारा बह निकली। किसी के लिए ना पसीजने वाला ह्रदय आज चीत्कार कर रहा था। उसकी मृत्यु ने टुन्नू के प्रति उसके प्रेम को सबके समक्ष प्रस्तुत कर दिया उसने टुन्नू द्वारा दी गई खादी की धोती पहन ली।
3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:- उस समय यह आयोजन मात्र मंनोरंजन का साधन हुआ करता था। परन्तु फिर भी इनमें लोगों की प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा करता था। इन कजली गायकों को बुलवाकर समारोह का आयोजन करवाया जाता था । अपनी प्रतिष्ठा को उसके साथ जोड़ दिया जाता था और यही ऐसे समारोहों की जान हुआ करते थे। उनकी हार जीत पर सब टिका हुआ होता था। भारत में तो विभिन्न स्थानों पर अलग−अलग रूपों में अनेकों समारोह किए जाते हैं; जैसे- उत्तर भारत में पहलवानी या कुश्ती का आयोजन, राजस्थान में लोक संगीत व पशु मेलों का आयोजन, पंजाब में लोकनृत्य व लोकसंगीत का आयोजन, दक्षिण में बैलों के दंगल व हाथी−युद्ध का आयोजन किया जाता है।
4. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक – सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:- दुलारी बेशक सामाजिक-सांस्कृतिक के दायरे से बाहर है। समाज के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा इन प्रतिभावान व्यक्तियों व इनकी कलाओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया है। लेकिन अपने व्यक्तित्व से इन्होंने अपना एक अलग नाम प्राप्त किया है, जो अतिविशिष्ट है। दुलारी की यही विशिष्टता उसे सबसे अलग करती है। ये इस प्रकार हैं –
प्रभावशाली गायिका − दुलारी एक प्रभावशाली गायिका है उसकी आवाज़ में मधुरता व लय का सुन्दर संयोजन है। पद्य में तो सवाल−जवाब करने में उसे कुशलता प्राप्त थी। उसका सामना अच्छे से अच्छा गायक भी नहीं कर पाता था।
देश के प्रति समर्पित − बेशक दुलारी प्रत्यक्ष रूप से स्वतन्त्रता संग्राम में ना कूदी हो पर वह अपने देश के प्रति समर्पित स्त्री थी। उसने बिना हिचके फेंकू द्वारा दी रेशमी साड़ियों के बंडल को आदोलनकारियों को जलाने हेतु दे दिया।
समर्पित प्रेमिका − दुलारी एक समर्पित प्रेमिका थी। वह टुन्नू से मन ही मन प्रेम करती थी। परन्तु उसके जीते−जी उसने अपने प्रेम को कभी व्यक्त नहीं किया। उसकी मृत्यु ने उसके ह्दय में दबे प्रेम को आंसुओं के रूप में प्रवाहित कर दिया।
निडर स्त्री − दुलारी एक निडर स्त्री थी। वह किसी से नहीं डरती थी। दुलारी का अपना कोई नहीं था। वह अकेली रहती थी। अतः अपनी रक्षा हेतु उसने स्वयं को निडर बनाया हुआ था। इसी निडरता से उसने फेकूं की दी हुई साड़ी जुलूस में फेंक दी। टुन्नू की मृत्यु के पश्चात उसने अंग्रेज़ विरोधी समारोह में भाग लिया तथा गायन पेश किया।
स्वाभिमानी स्त्री − दुलारी एक स्वाभिमानी स्त्री थी। वह अपने सम्मान का समझौता करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी। उसने अकेले रहकर सम्मान से सर उठाकर जीना सीखा था। फेंकू की दी साड़ी भी उसने इसलिए फेंक दी थी।
5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?
उत्तर:- टुन्नू व दुलारी का परिचय भादों में तीज़ के अवसर पर खोजवाँ बाज़ार में हुआ था। जहाँ वह गाने के लिए बुलवाई गई थी। दुक्कड़ पर गानेवालियों में दुलारी का खासा नाम था। उससे पद्य में ही सवाल-जवाब करने की महारत हासिल थी। बड़े-बड़े गायक उसके आगे पानी भरते नज़र आते थे और यही कारण था कि कोई भी उसके सम्मुख नहीं आता था। उसी कजली दंगल में उसकी मुलाकात टुन्नू से हुई थी। उसने भी पद्यात्मक शैली में प्रश्न-उत्तर करने में कुशलता प्राप्त की थी। टुन्नू दुलारी की ओर हाथ उठकर चुनौती के रूप में ललकार उठा। दुलारी मुस्कुराती हुई मुग्ध होकर सुनती रही। टुन्नू ने दुलारी को भी अपने आगे नतमस्तक कर दिया था।
6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था – “तैं सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?…! “दुलारी से इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- दुलारी का टुन्नू को यह कहना उचित था – “तैं सरबउला बोल ज़िन्दगी में कब देखने लोट?…! ” क्योंकि टुन्नू अभी सोलह सत्रह वर्ष का है। उसके पिताजी गरीब पुरोहित थे जो बड़ी मुश्किल से गृहस्थी चला रहे थे। टुन्नू ने अब तक लोट (नोट) देखे नहीं। उसे पता नहीं कि कैसे कौड़ी-कौड़ी जोड़कर लोग गृहस्थी चलाते है। यहाँ दुलारी ने उन लोगों पर आक्षेप किया है जो असल ज़िन्दगी में कुछ करते नहीं मात्र दूसरों की नकल पर ही आश्रित होते हैं। उसके अनुसार इस ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता। इस ज़िन्दगी में कब नोट या धन देखने को मिल जाए कोई कुछ नहीं जानता। इसलिए हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
7. भारत के स्वीधनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
उत्तर:- विदेशी वस्त्रों के बाहिष्कार हेतु चलाए जा रहे आन्दोलन में दुलारी ने अपना योगदान रेशमी साड़ी व फेंकू द्वारा दिए गए रेशमी साड़ी के बंडल को देकर दिया। बेशक वह प्रत्यक्ष रूप में आन्दोलन में भाग नहीं ले रही थी फिर भी अप्रत्यक्ष रूप से उसने अपना योगदान दिया था। टुन्नू ने स्वतन्त्रता संग्राम में एक सिपाही की तरह अपना योगदान दिया था। उसने रेशमी कुर्ता व टोपी के स्थान पर खादी के वस्त्र पहनना आरम्भ कर दिया। अंग्रेज विरोधी आन्दोलन में वह सक्रिय रूप से भाग लेने लग गया था और इसी सहभागिता के कारण उसे अपने प्राणों का बालिदान देना पड़ा।
8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
उत्तर:- दुलारी और टुन्नू के ह्रदय में एक दूसरे के प्रति अगाध प्रेम था और ये प्रेम उनकी कला के माध्यम से ही उनके जीवन में आया था। दुलारी ने टुन्नू के प्रेम निवेदन को कभी स्वीकारा नहीं परन्तु वह मन ही मन उससे बहुत प्रेम करती थी। वह यह भली भांति जानती थी कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक ना होकर आत्मिय प्रेम था और टुन्नू की इसी भावना ने उसके मन में उसके प्रति श्रद्धा भावना भर दी थी। परन्तु उसकी मृत्यु के समाचार ने उसके ह्रदय पर जो आघात किया, वह उसके लिए असहनीय था। अंग्रेज अफसर द्वारा उसकी निर्दयता पूर्वक हत्या ने, उसके अन्दर के कलाकार को प्रेरित किया और उसने स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा आयोजित समारोह में अपने गायन से नई जान फूंक दी। यही से उसने देश प्रेम का मार्ग चुना।
9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकाशं वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?
उत्तर:- आज़ादी के दीवानों की एक टोली जलाने के लिए विदेशी वस्त्रों का संग्रह कर रही थी। अधिकतर लोग फटे-पुराने वस्त्र दे रहे थे। दुलारी के वस्त्र बिलकुल नए थे। दुलारी द्वारा विदेशी वस्त्रों के ढेर में कोरी रेशमी साड़ियों का फेंका जाना यह दर्शाता है कि वह एक सच्ची हिन्दुस्तानी है, जिसके ह्रदय में देश के प्रति प्रेम व आदरभाव है। देश के आगे उसके लिए साड़ियों का कोई मूल्य नहीं है। उसके ह्रदय में उन रेशमी साड़ियों का मोह नहीं था। मोह था तो अपने देश के सम्मान का। वह उसकी सच्चे देश प्रेमी की मानसिकता को दर्शाता है।
10. “मन पर किसी का बस नहीं ; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?
उत्तर:- टुन्नू दुलारी से प्रेम करता था। वह दुलारी से उम्र में बहुत ही छोटा था। वह मात्र सत्रह − सोलह साल का लड़का था। दुलारी को उसका प्रेम उसकी उम्र की नादानी के अलावा कुछ नहीं लगता था। इसलिए वह उसका तिरस्कार करती रहती थी। परन्तु इन वाक्यों ने जैसे एक अल्हड़ लड़के में प्रेम के प्रति सच्ची भावना देखी। उसका प्रेम शरीर से ना जुड़कर उसकी आत्मा से था। टुन्नू के द्वारा कहे वचनों ने दुलारी के ह्रदय में उसके आसन को और दृढ़ता से स्थापित कर दिया। टुन्नु के प्रति उसके विवेक ने उसके प्रेम को श्रद्धा का स्थान दे दिया। अब उसका स्थान अन्य कोई व्यक्ति नहीं ले सकता था।
11. ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा ! का प्रतीकार्थ समझाइए।
उत्तर:- इस कथन का शाब्दिक अर्थ है कि इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है, मैं किससे पूछूँ ? नाक में पहना जानेवाला लौंग सुहाग का प्रतीक है। दुलारी एक गौनहारिन है उसने अपने मन रूपी नाक में टुन्नू के नाम का लौंग पहन लिया है।
दुलारी की मनोस्थिति देखें तो जिस स्थान पर उसे गाने के लिए आमंत्रित किया गया था, उसी स्थान पर टुन्नू की मृत्यु हुई थी तो उसका प्रतीकार्थ होगा – इसी स्थान पर मेरा प्रियतम मुझसे बिछड़ गया है। अब मैं किससे उसके बारे में पूछूँ कि मेरा प्रियतम मुझे कहाँ मिलेगा? अर्थात् अब उसका प्रियतम उससे बिछड़ गया है, उसे पाना अब उसके बस में नहीं है।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
प्रश्न 1. दुलारी अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग थी। इसके लिए वह क्या करती थी और क्यों ?
उत्तर- दुलारी उन महिलाओं से अलग थी जो अपने स्वास्थ्य के प्रति असावधान रहती हैं। वह अपने स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखती थी। इसके लिए नियमपूर्वक कसरत करती और भिगोए हुए चने खाती। दुलारी समाज के उस वर्ग से संबंधित थी जहाँ गीत गाकर गुजारा करना उनकी रोजी-रोटी का साधन होता है। फेंकू सरदार जैसे लोगों से स्वयं को बचाने के लिए उसका स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना आवश्यक था।
प्रश्न 2. टुन्नू दुलारी के लिए खद्दर की सूती साड़ी लेकर क्यों आया?
उत्तर- टुन्नू सोलह-सत्रह वर्षीय ब्राह्मण किशोर था, जो कजली गायन का उभरता कलाकार था। उसके भीतर राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना उफ़ान पर थी। मलमल के वस्त्र पहनने वाले टुन्नू ने स्वयं भी खादी पहनना शुरू कर दिया था। वह अपने मन के किसी कोने में दुलारी के लिए कोमल भावनाएँ रखता था। अपने मूक प्रेम की अभिव्यक्ति करने एवं होली के त्योहार के अवसर पर उपहार देने के लिए वह खद्दर की सूती साड़ी ले आया।
प्रश्न 3. अपने दरवाजे पर टुन्नू को खड़ा देख दुलारी ने क्या प्रतिक्रिया प्रकट की और क्यों?
उत्तर:- टुन्नू को अपने दरवाजे पर खड़ा देख दुलारी ने पहले तो उससे कहा कि तुम फिर यहाँ टुन्नू? मैंने तुम्हें यहाँ आने के लिए मना किया था। उसने जब टुन्नू के मुँह से सालभर के त्योहार की बात सुनी तो वह अत्यंत क्रोधित हो उठी और टुन्नू को अपशब्द कहने लगी। वास्तव में दुलारी नहीं चाहती थी कि टुन्नू जैसा किशोर अभी से अपने भविष्य की उपेक्षा करके प्रेम-मोहब्बत के चक्कर में पड़े।
प्रश्न 4. दुलारी का उपेक्षापूर्ण व्यवहार देखकर टुन्नू चला गया पर इसके बाद दुलारी के मनोभावों में क्या-क्या बदलाव आए?
उत्तर- दुलारी ने न टुन्नू की लाई खद्दर की साड़ी स्वीकार की और न उससे उचित व्यवहार किया। इससे आहत होकर उसकी व्यथा आँसू बनकर टपक पड़ी, जो उसके ही पैरों के पास उस साड़ी पर जा गिरी थी। टुन्नू बिना कुछ कहे सीढ़ियाँ उतरता चला गया और दुलारी उसे देखे जा रही थी, परंतु उसके नेत्रों में कौतुक और कठोरता का स्थान करुणा की कोमलता ने ग्रहण कर लिया था। उसने भूमि पर पड़ी खद्दर की धोती उठाई और स्वच्छ धोती पर पड़े काजल से सने आँसुओं के धब्बों को बार-बार चूमने लगी।
प्रश्न 5. खोजवाँ वालों ने अपनी ओर से कजली दंगल में किसे खड़ा किया था और क्यों?
उत्तर- खोजवाँ वालों ने कजली दंगल में अपनी ओर से दुलारी को खड़ा किया। इसका कारण यह था कि दुक्कड़ पर गानेवालियों में दुलारी बहुत प्रसिद्ध थी। उसे पद्य में सवाल जवाब करने की अद्भुत क्षमता प्राप्त थी। कजली गानेवाले बड़े-बड़े शायर भी उससे मुकाबला करने से बचते थे। दुलारी जिस ओर से गायन के लिए खड़ी होती थी, उसकी विजय निश्चित मानी जाती थी।
प्रश्न 6. टुन्नू के परिवार का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताइए कि उसने दुलारी से गायन में मुकाबला करने का साहस कैसे कर लिया?
उत्तर- टुन्नू सोलह-सत्रह वर्षीय गौरवर्ण वाला दुबला-पतला ब्राह्मण युवक था। उसके पिता घाट पर बैठकर और कच्चे महाल के दस-पाँच घरों में यजमानी करते हुए, सत्यनारायण की कथा से लेकर श्राद्ध और विवाह तक कराकर कठिनाई से गुजारा कर रहे थे। इधर टुन्नू को आवारा लड़कों की संगति में शायरी का चस्का लगा। उसने भैरोहेला को अपना उस्ताद बनाया और शीघ्र ही कजली की रचना करने लगा। इसके अलावा वह पद्यात्मक प्रश्नोत्तरी में कुशल था। अपनी इसी योग्यता पर वह बजरडीहा वालों की तरफ से कजली दंगल में गया और दुलारी से गायन का मुकाबला कर बैठा।
प्रश्न 7. टुन्नू का गायन सुनकर खोजवाँ वालों की सोच और दुलारी के व्यवहार में क्या अंतर आया?
उत्तर- खोजवाँ बाजार में आयोजित कजली दंगल में जब साधारण गाना हो गया तो सवाल-जवाब के लिए दुक्कड़ की आवाज़ सुनाई दी। उधर विपक्ष से एक युवा गायक गौनहारिनों में सबसे आगे खड़ी दुलारी की ओर हाथ उठाकर ललकार उठा. “रनियाँ लऽ परमेसरी लोट!” मधुर कंठ से निकले इस गीत को सुनकर खोजवाँ वालों ने सोचा कि अब उनकी विजय तय नहीं है। उधर तनिक-सी बात में नाराज़ हो जाने वाली दुलारी टुन्नू का गीत सुनकर अपने स्वभाव के विपरीत मुसकरा रही थी और मुग्ध होकर गीत सुन रही थी।
प्रश्न 8. कजली दंगल की मजलिस बदमज़ा क्यों हो गई?
उत्तर- भादों महीने में तीज के अवसर पर खोजवाँ बाजार के आयोजित कजली दंगल में खोजवाँ वालों ने अपनी ओर से दुलारी। को बुलाया था और बजरडीहा वालों ने टुन्नू को। इस आयोजन में साधारण गाना पूरा हो जाने के बाद जब सवाल-जवाब के पद्यात्मक गायन की प्रतियोगिता शुरू हुई तो टुन्नू ने दुलारी के सवालों का भरपूर जवाब अपने गीत के माध्यम से दिया। दोनों एक-दूसरे के आक्षेपों का जवाब दे रहे थे। टुन्नू के द्वारा गायन के माध्यम से दिए गए जवाब पर फेंकू सरदार को गुस्सा आ गया। वह टुन्नू को मारने के लिए लाठी लेकर खड़े हो गए। यह देख दुलारी ने टुन्नू की रक्षा की। इसके बाद लोगों के बहुत कहने पर उन दोनों में से किसी ने भी न गाया और मजलिस बदमज़ा हो गई।
प्रश्न 9. टुन्नू की उपेक्षा करने वाली दुलारी के मन में उसके प्रति कोमल भावनाएँ कैसे पैदा हो गईं?
उत्तर- टुन्नू और दुलारी की प्रथम मुलाकात खोजवाँ बाजार में गायन के समय हुई थी। उसी समय उसने टुन्नू के हृदय की दुर्बलता का अनुभव पहली मुलाकात में ही कर लिया था परंतु उसे भावना की लहर मानकर वह टुन्नू की उपेक्षा करती रही। होली के त्योहार पर जिस भाव से टुन्नू ने उसे उपहार दिया उससे दुलारी ने समझ लिया कि उसके शरीर के प्रति टुन्नू के मन में कोई लोभ नहीं है। उसकी आसक्ति का कारण शरीर नहीं आत्मा है। वह अनुभव कर चुकी थी कि उसके हृदय के किसी कोने पर टुन्नू विराजमान है। इस तरह उसके मन में टुन्नू के प्रति कोमल भावनाएँ पैदा हो गईं।
प्रश्न 10. होली के दिन देश के दीवाने अपनी होली किस तरह मनाना चाहते थे? उनके इस कार्य में दुलारी ने किस तरह सहयोग किया?
उत्तर- होली के दिन देश के दीवाने अपनी होली कुछ अलग ढंग से ही मनाना चाह रहे थे। इस दिन वे सवेरे से ही जुलूस निकालकर जलाने के लिए विदेशी वस्त्रों का संग्रह करते फिर रहे थे। वे दल बनाकर घूमते हुए भारत जननि तेरी जय, तेरी जय हो’ का गायन करते हुए लोगों को उत्साहित कर रहे थे और लोग अपने कुरते, कमीज, टोपी, धोती आदि दे रहे थे। दुलारी ने भी देश के दीवानों की पुकार सुनकर खिड़की खोली और मैंनचेस्टर तथा लंकाशायर के मिलों की बनी साड़ियों का नया बंडल फेंककर अपना योगदान दिया।
प्रश्न 11. विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने का आह्वान करने वाला दल क्या देखकर चकित रह गया?
अथवा
दुलारी ने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का नाटक नहीं किया बल्कि सच्चे मन से सहयोग दिया, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने का आह्वान करने वाले दल के सदस्यों द्वारा उठाई गई चादर पर लोग अपने धोती, साड़ी, कमीज, कुरता, टोपी आदि डाल रहे थे परंतु जब दुलारी ने बारीक सूत की मखमली किनारे वाली नई कोरी धोतियों का बंडल फेंका तो चादर सँभालने वाले व्यक्ति चकित रह गए क्योंकि अब तक जिन वस्त्रों का संग्रह हुआ था वे फटे पुराने थे जबकि नए बंडल की धोतियों की तह भी न खुली थी।
प्रश्न 12. सहायक संपादक ने अपनी रिपोर्ट में टुन्नू की मौत का उल्लेख किस तरह किया है?
उत्तर- सहायक संपादक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि विदेशी वस्त्रों का संग्रह करने वाला जुलूस टाउनहाल आकर विघटित हो गया। तब पुलिस जमादार ने टुन्नू को पकड़ा और गालियाँ दीं, जिसका टुन्नू ने प्रतिवाद किया। जमादार ने उसे बूट की ठोकर मारी जो पसली में जा लगी। इससे टुन्नू के मुँह से चुल्लूभर खून निकला। पास ही खड़े गोरे सैनिकों की गाड़ी में टुन्नू को लाद लिया गया और अस्पताल ले जाने के नाम पर रात्रि आठ बजे वरुणा में प्रवाहित कर दिया गया।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1. टुन्नू जैसा साधारण-सा युवक भी देश की स्वाधीनता में अपना योगदान देकर मातृभूमि का ऋण चुकाता है। टुन्नू के चरित्र से आप किन-किन जीवन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे?
उत्तर- देश को स्वाधीन कराने में देश की आम जनता और टुन्नू जैसे साधारण से युवकों का भी योगदान है जो भिन्न-भिन्न तरीके से मातृभूमि का ऋण चुकाते हैं। टुन्नू एक ओर विदेशी वस्त्रों का त्याग करता है तो दूसरी ओर विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने वाले देश भक्तों के साथ जुलूस में बढ़-चढ़कर भाग लेता है जो बाद में उसकी मौत का कारण भी बन जाता है। टुन्नू के चरित्र से हम निम्नलिखित जीवन-मूल्यों की सीख ले सकते हैं-
1. देश प्रेम एवं राष्ट्रीयता- टुन्नू के मन में राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रीयता की भावना भरी है। वह विदेशी वस्त्रों का त्यागकर खद्दर धारण कर लेता है और देश को स्वतंत्र कराने में अपना योगदान देता है। इससे हमें भी देश प्रेम एवं राष्ट्रीयता को बनाए रखने की सीख मिलती है।
2. भारतीय वस्तुओं से लगाव- टुन्नू स्वयं विदेशी वस्त्रों का त्याग ही नहीं करता वरन विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार करने वाले जुलूस में शामिल होकर दूसरों को भी ऐसा करने की प्रेरणा देता है। इससे हमें भी भारतीय वस्तुओं को अपनाने की सीख मिलती है।
3. स्वाभिमानी होना- टुन्नू पुलिस जमादार अली सगीर की गालियाँ सुन नहीं पाता और तुरंत प्रतिवाद कर अपने स्वाभिमान का परिचय देता है। इससे हमें भी स्वाभिमानी बनने की सीख मिलती है।
प्रश्न 2. दुलारी का चरित्र समाज के उपेक्षित उस वर्ग का सच्चा प्रतिनिधित्व करता है जो देश की आज़ादी में अपने ढंग से अपना योगदान देता है। इस कथन के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि दुलारी के चरित्र से आप किन-किन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे?
उत्तर :- दुलारी समाज के उस वर्ग से संबंध रखती है जो सभा, उत्सव जैसे आयोजनों में गीत (लोकगीत) गाकर अपनी आजीविका चलाती है। समाज इस वर्ग को अच्छी दृष्टि से नहीं देखता है और समाज के कुछ लोग इन पर कुदृष्टि रखते हैं। उन्हें पुरुषों की उस घटिया सोच का भी सामना करना पड़ता है जो महिलाओं के स्वतंत्र जीने को अच्छी दृष्टि से नहीं देखते हैं। दुलारी भी इन बातों से अनभिज्ञ नहीं है, इसलिए वह अपने शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखना चाहती है ताकि फेंकू सरदार जैसे लोगों का समय-असमय मुकाबला कर सके। वह टुन्नू की देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता से प्रभावित होकर विदेशी वस्त्रों का त्याग कर देती है। दुलारी के चरित्र से हमें स्वाभिमान बनाए रखने, समय पर उचित निर्णय लेने, राष्ट्रीयता की भावना बनाए रखने, देश प्रेम प्रकट करने का साहस रखने जैसे मूल्यों की सीख मिलती है।
MCQ
Question 1.
टुन्नू ने कजरी दंगल में किसकी ओर से भाग लिया?
(a) खोजवां बाजार वालों की
(b) पलटन बाजार वालो की ओर से
(c) लालबाग वालों की ओर से
(d) बजरहीड़ा वालों की ओर से
Answersheet below
Question 2.
दुक्कड़ किसे कहते है?
(a) शहनाई के साथ बजाए जाने वाले तबले जैसे बाजे को
(b) रामढोल को
(c) मोर बीन को
(d) तम्बूरे को
Answersheet below
Question 3.
दुलारी ने टुन्नू से मिली साड़ी को सब कपड़ो से नीचे दबाकर क्यों रखा?
(a) वह उस साड़ी को किसी को दिखाना नहीं चाहती थी
(b) वह उसे सहेजकर रखना चाहती थी।
(c) वह उसकी दी साड़ी से नफरत करती थी
(d) वह उसको वापस करना चाहती थी
Answersheet below
Question 4.
टुन्नू के प्रति दुलारी का उपेक्षा भाव कैसा था ?
(a) स्वाभाविक
(b) उम्र के अनुसार
(c) कृत्रिम
(d) कटूता भरा
Answersheet below
Question 5.
दुलारी किस सत्यता का सामना नहीं करना चाहती थी ?
(a) कि उसके मन में टुन्नू के प्रति प्यार है
(b) कि टुन्नू उसको चाहता था
(c) कि टुन्नू उससे अच्छा गायक है
(d) कि टुन्नू एक होनहार युवक है
Answersheet below
Question 6.
दुलारी ने कहाँ की बुनी हुई साड़ियाँ विदेशी कपड़ो की होली जलाने के लिए दी?
(a) बनारस को
(b) लंका की
(c) मैं इंडियन हूँ
(d) मैनचेस्टर तथा लंका शायर की
Answersheet below
Question 7.
दुलारी द्वारा धोतियाँ नीचे डालने पर अली सगीर ने क्या किया ?
(a) अली सगीर ने दुलारी की शिकायत अंग्रेज अफसर से की
(b) अली सगीर ने दुलारी के घर का नंबर मन ही मन नोट कर लिया
(c) अली सगीर ने दुलारी से ऐसा करने से मना किया
(d) अली सगीर दुलारी को थाने-चलते के लिए कहने लगा
Answersheet below
Question 8.
अली सगीर कौन था ?
(a) दुलारी का चाहने वाला
(b) एक ठेकेदार
(c) खुफिया पुलिस का रिपोर्टर
(d) पुलिस का अधिकारी कारणा
Answersheet below
Question 9.
पुलिस वाले टुन्नू को कहाँ लेकर गए?
(a) थाने में
(b) अस्पताल में
(c) टुन्नू के घर
(d) टुन्नू मर गया था उन्होने उसे वरुणा नदी में प्रवाहित कर दिया
Answersheet below
Question 10.
अली सगीर ने दुलारी का नंबर किस लिए नोट किया ?
(a) ताकि वह उस पर कार्यवाही कर सके
(b) उसे दुलरी के घर जाना था
(c) वह दुलारी का नृत्य देखना चाहता था
(d) दुलारी देश द्रोही थी
Answersheet below
Question 11.
दुलारी क्या काम करती है ?
(a) मेहनत मजदूरी का काम
(b) गाने-बजाने का काम
(c) देश की आज़ादी के लिए प्रेरक का काम
(d) संगीत सिखाने का काम
Answersheet below
Question 12.
दुलारी और टुन्नू की भेंट किस स्थान पर हुई थी ?
(a) खोजवाँ बाजार में
(b) पनघट पर
(c) दंगल में
(d) जुलूस के समय
Answersheet below
Question 13.
फेंकू सरदार दुलारी के लिए क्या भेंट लाया था ?
(a) श्रृंगार दान
(b) सोने के कँगन
(c) गले का हार
(d) धोतियों का बंडल
Answersheet below
Question 14.
कजली-दंगल प्रतियोगिता का आयोजन क्यों होता होगा ?
(a) मनोरंजन के उद्देश्य से
(b) लोककला के प्रर्दशन के लिए
(c) संस्कृति के पोषण के लिए
(d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं
Answersheet below
Question 15.
निम्नलिखित में से कौन-सा गुण दुलारी में नहीं था ?
(a) प्रतिभाशाली
(b) स्वाभिमानिनी
(c) कोमलांगी
(d) सच्ची प्रेमिका
Answersheet below
Question 16.
कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित क्यों हो उठी ?
(a) प्रेम अधूरा रह जाने के कारण
(b) पश्चाताप के कारण
(c) अपनी अज्ञानता के कारण
(d) ‘क’ और ‘ख’ दोनों कथन सत्य हैं
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Question 17.
‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’ का प्रतीकार्थ बताइए ?
(a) हे राम! इस स्थान पर मेरी नाक का गहना खो गया है
(b) हे राम! इस स्थान में मेरे प्राण प्रिय खो गए
(c) हे राम! मैं अब जीवित रहकर क्या करूँगा
(d) हे राम! अब मेरी रक्षा कौन करेगा
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Question 18.
टुन्नू दुलारी के लिए क्या उपहार लाया था ?
(a) कानों के झुमके
(b) गले का हार
(c) गाँधी आश्रम में बनी खादी की धोती
(d) पाँवों की पायल
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Question 19.
टुन्नू के पिता क्या काम करते थे।
(a) वे एक व्यापारी थे
(b) वे एक किसान थे
(c) वे यजमानी का कार्य करते थे
(d) वे डॉक्टर थे
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Question 20.
टुन्नू ने किसको अपना उस्ताद बनाया?
(a) घौलाहेरु को
(b) भैरो हेला को
(c) भैरोसिंह को
(d) लक्ष्मी चंद को
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Question 21.
दुलारी ने कसरत करते हुए धोती कैसे लपेट रखी थी?
(a) गुजराती महिलाओं की तरह
(b) महाराष्ट्रीय महिलाओं की तरह
(c) बंगाली महिलाओं की तरह
(d) बिहारी महिलाओं की तरह
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Question 22.
टुन्नू कहाँ की बनी साड़ी दुलारी के लिए लाया ?
(a) मैनचेस्टर की
(b) बनारस की
(c) गाँधी आश्रम की
(d) अहमदाबाद की
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Question 23.
‘पत्थर की देवी तक अपने भक्त द्वारा दी गई भेंट को नहीं ठुकराती यह कथन किसका है ?
(a) दुलारी का
(b) टुन्नू का
(c) फेंकू सरदार का
(d) अली सगीर का
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Question 24.
दुलारी की टुन्नू से पहली मुलाकात कहाँ हुई थी ?
(a) खोजवाँ बाजार में
(b) सदर बाजार में
(c) एक मेले में
(d) एक कवि सम्मेलन में
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Question 25.
‘कजली क्या है’ ?
(a) एक गाय का नाम है
(b) एक पक्षी का नाम है
(c) एक राग का नाम है
(d) एक तरह का लोकगीत है |
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