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Prawat Pradesh Me Pavas Ch 5 Sparsh 10th Hindi notes

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1. पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- पावस ऋतु में प्रकृति में बहुत-से मनोहारी परिवर्तन आते हैं।

जैसे :-

1. पर्वत, पहाड़, ताल, झरने आदि भी मनुष्यों की ही भाँति भावनाओं से ओत-प्रोत दिखाई देते हैं।

2. पर्वत ताल के जल में अपना महाकार देखकर हैरान-से दिखाई देते हैं।

3. पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते हैं।

4. बादलों की ओट में छिपे पर्वत मानों पंख लगाकर कहीं उड़ गए हों तथा तालाबों में से उठता हुआ कोहरा धुएँ। की भाँति प्रतीत होता है।

प्रश्न 2. ‘मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?

उत्तर- ‘मेखलाकार’ शब्द का अर्थ है-मंडलाकार करधनी के आकार के समान। यह कटि भाग में पहनी जाती है। पर्वत भी मेखलाकार की तरह लग रहा था जैसे इसने पूरी पृथ्वी को अपने घेरे में ले लिया है। कवि ने इस शब्द का प्रयोग पर्वत की विशालता और फैलाव दिखाने के लिए किया है।

प्रश्न 3. ‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

उत्तर- पर्वत अपने चरणों में स्थित तालाब में अपने हजारों सुमन रूपी नेत्रों से अपने ही बिंब को निहारते हुए-से प्रतीत होते हैं। पर्वतों पर खिले सहस्र फूलों का पर्वतों के नेत्र के रूप में मानवीकरण किया गया है। इस तरह से स्पष्ट हो जाता है कि कवि ने इस पद का प्रयोग पर्वतों का मानवीकरण करने के लिए किया होगा।

प्रश्न 4. कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?

उत्तर- कवि ने तालाब की समानता दर्पण के साथ दिखाई है। कवि ने ऐसी समानता इसलिए की है क्योंकि तालाब का जल अत्यंत स्वच्छ व निर्मल है। वह प्रतिबिंब दिखाने में सक्षम है। दोनों ही पारदर्शी, दोनों में ही व्यक्ति अपना प्रतिबिंब देख सकता है। तालाब के जल में पर्वत और उस पर लगे हुए फूलों का प्रतिबिंब स्पष्ट दिखाई दे रहा था। इसलिए कवि द्वारा तालाब की समानता दर्पण के साथ करना अत्यंत उपयुक्त है।

प्रश्न 5. पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?

उत्तर- पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर अपनी उच्चाकांक्षाओं को प्रकट करने के लिए देख रहे हैं, अर्थात् आकाश को पाना चाहते हैं। ये वृक्ष इस बात को प्रतिबिंबित करते हैं कि मानों ये गंभीर चिंतन में लीन हों और अपलक देखते हुए अपनी उच्चाकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए निहार रहे हों।

प्रश्न 6. शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धंस गए?

उत्तर- कवि के अनुसार वर्षा इतनी तेज और मूसलाधार थी कि ऐसा लगता था मानो आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। चारों तरफ धुआँ-सा उठता प्रतीत होता है। ऐसा लगता है मानो तालाब में आग लग गई हो। चारों ओर कोहरा छा जाता है, पर्वत, झरने आदि सब अदृश्य हो जाते हैं। वर्षा के ऐसे भयंकर रूप को देखकर ही शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में फँसे हुए प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 7. झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?

उत्तर- पर्वतों की ऊँची चोटियों से ‘सर-सर करते बहते झरने देखकर ऐसा प्रतीत होता है, मानों वे पर्वतों की उच्चता व महानता की गौरव-गाथा गा रहे हों। जहाँ तक बहते हुए झरने की तुलना का संबंध है तो बहते हुए झरने की तुलना मोती रूपी लड़ियों से की गई है।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1. है टूट पड़ा भू पर अंबर!

उत्तर- इसका भाव है कि जब आकाश में चारों तरफ़ असंख्य बादल छा जाते हैं, तो वातावरण धुंधमय हो जाता है और केवल झरनों की झर-झर ही सुनाई देती है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।

प्रश्न 2. यों जलद-यान में विचर-विचर

था इंद्र खेलता इंद्रजाल।

उत्तर- पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में पल-पल प्रकृति के रूप में परिवर्तन आ जाता है। कभी गहरा बादल, कभी तेज़ वर्षा व तालाबों से उठता धुआँ। ऐसे वातावरण को देखकर लगता है मानो वर्षा का देवता इंद्र बादल रूपी यान पर बैठकर जादू का खेल दिखा रहा हो। आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देखकर ऐसा लगता था जैसे बड़े-बड़े पहाड़ अपने पंखों को फड़फड़ाते हुए उड़ रहे हों। बादलों का उड़ना, चारों ओर धुआँ होना और मूसलाधार वर्षा का होना ये सब जादू के खेल के समान दिखाई दे रहे थे।

प्रश्न 3. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर

उच्चाकांक्षाओं से तरुवर

हैं झाँक रहे नीरव नभ पर

अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।

उत्तर- इस अंश का भाव है कि पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के समय में क्षण-क्षण होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों तथा अलौकिक दृश्यों को देख कर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे इंद्र देवता ही अपना इंद्रजाल जलद रूपी यान में घूम-घूमकर फैला रहा है, अर्थात् बादलों का पर्वतों से टकराना और उन्हीं बादलों में पर्वतों व पेड़ों का पलभर में छिप जाना, ऊँचे-ऊँचे पेड़ों का आकाश की ओर निरंतर ताकंना, बादलों के मध्य पर्वत जब दिखाई नहीं पड़ते तो लगता है, मानों वे पंख लगाकर उड़ गए हों आदि, इंद्र का ही फैलाया हुआ मायाजाल लगता है।

कविता का सौंदर्य

प्रश्न 1. इस कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किस प्रकार किया गया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के कुशल चितेरे हैं। वे प्रकृति पर मानवीय क्रियाओं को आरोपित करने में सिद्धहस्त हैं। ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने प्रकृति, पहाड़, झरने, वहाँ उगे वृक्ष, शाल के पेड़-बादल आदि पर मानवीय क्रियाओं का आरोप किया है, इसलिए कविता में जगह-जगह मानवीकरण अलंकार दिखाई देता है। कविता में आए मानवीकरण अलंकार हैं-

1. पर्वत द्वारा तालाब रूपी स्वच्छ दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखकर आत्ममुग्ध होना।

2. पर्वत से गिरते झरनों द्वारा पर्वत का गुणगान किया जाना।

3. पेड़ों द्वारा ध्यान लगाकर आकाश की ओर देखना।

4. पहाड़ का अचानक उड़ जाना।

5. आकाश का धरती पर टूट पड़ना।

कविता में कवि ने मानवीकरण अलंकार के प्रयोग से चार चाँद लगा दिया है।

प्रश्न 2. आपकी दृष्टि में इस कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर करता है-

(क) अनेक शब्दों की आवृत्ति पर।

(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर।

(ग) कविता की संगीतात्मकता पर।

उत्तर- मेरी दृष्टि में कविता का सौंदर्य शब्दों की आवृत्ति, काव्य की चित्रमयी भाषा और कविता की संगीतात्मकता तीनों पर ही निर्भर करता है। यद्यपि इनमें से किसी एक के कारण भी सौंदर्य वृद्धि होती है पर इन तीनों के मिले-जुले प्रभाव के कारण कविता का सौंदर्य और निखर आता है; जैसे-

(क) अनेक शब्दों की आवृत्ति पर।

1. पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश।

2. मद में नस-नस उत्तेजित कर

3. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर

शब्दों की आवृत्ति से भावों की अभिव्यक्ति में गंभीरता और प्रभाविकता आ गई है।

(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर

1. मेखलाकार पर्वत अपार

2. अवलोक रहा है बार-बार

3. है टूट पड़ा भू पर अंबर!

4. फँस गए धरा में सभय ताल!

5. झरते हैं झाग भरे निर्झर।

6. हैं झाँक रहे नीरव नभ पर।

शब्दों की चित्रमयी भाषा से चाक्षुक बिंब या दृश्य बिंब साकार हो उठता है। इससे सारा दृश्य हमारी

आँखों के सामन घूम जाता है।

(ग) कविता की संगीतात्मकता पर

1. अवलोक रहा है बार-बार

नीचे जल में निज महाकार,

2. मोती की लड़ियों-से सुंदर

झरते हैं झाग भरे निर्झर!

3. रव-शेष रह गए हैं निर्झर !

है टूट पड़ा भू पर अंबर !

कविता में तुकांतयुक्त पदावली और संगीतात्मकता होने से गेयता का गुण आ जाता है।

प्रश्न 3.

कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। ऐसे स्थलों को छाँटकर लिखिए।

उत्तर- कविता से लिए गए चित्रात्मक शैली के प्रयोग वाले स्थल-

1. पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश

2. मेखलाकार पर्वत अपार

3. अपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,

अवलोक रहा है बार-बार

4. जिसके चरणों में पला ताल

दर्पण-सा फैला है विशाल!

5. मोती की लड़ियों-से सुंदर

झरते हैं झाग भरे निर्झर !

6. उच्चाकांक्षाओं से तरुवर

हैं झाँक रहे नीरव नभ पर

7. उड़ गया, अचानक लो, भूधर

8. है टूट पड़ा भू पर अंबर!

9. धंस गए धरा में सभय शाल!

10. उठ रहा धुआँ, जल गया ताल!

11. यों जलद-यान में विचर-विचर

था इंद्र खेलती इंद्रजाल।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1. इस कविता में वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों की बात कही गई है। आप अपने यहाँ वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर- वर्षा ऋतु में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तन-वर्षा को जीवनदायिनी ऋतु कहा जाता है। इस ऋतु का इंतज़ार ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से किया जाता है। वर्षा आते ही प्रकृति और जीव-जंतुओं को नवजीवन के साथ हर्षोल्लास भी स्वतः ही मिल जाता है। इस ऋतु में हम अपने आसपास अनेक प्राकृतिक परिवर्तन देखते हैं; जैसे-

1. ग्रीष्म ऋतु में तवे सी जलने वाली धरती शीतल हो जाती है।

2. धरती पर सूखती दूब और मुरझाए से पेड़-पौधे हरे हो जाते हैं।

3. पेड़-पौधे नहाए-धोए तरोताज़ा-सा प्रतीत होते हैं।

4. प्रकृति हरी-भरी हो जाती हैं तथा फ़सलें लहलहा उठती हैं।

5. दादुर, मोर, पपीहा तथा अन्य जीव-जंतु अपना उल्लास प्रकट कर प्रकृति को मुखरित बना देते हैं।

6. मनुष्य तथा बच्चों के कंठ स्वतः फूट पड़ते हैं जिससे प्राकृतिक चहल-पहल एवं सजीवता बढ़ती है।

7. आसमान में बादल छाने, सूरज की तपन कम होने तथा ठंडी हवाएँ चलने से वातावरण सुहावना बन जाता है।

8. नालियाँ, नाले, खेत, तालाब आदि जल से पूरित हो जाते हैं।

9. अधिक वर्षा से कुछ स्थानों पर बाढ़-सी स्थिति बन जाती है।

10. रातें काली और डरावनी हो जाती हैं।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1. वर्षा ऋतु पर लिखी गई अन्य कवियों की कविताओं का संग्रह कीजिए और कक्षा में सुनाइए।

उत्तर-

छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2. बारिश, झरने, इंद्रधनुष, बादल, कोयल, पानी, पक्षी, सूरज, हरियाली, फूल, फल आदि या कोई भी प्रकृति विषयक शब्द का प्रयोग करते हुए एक कविता लिखने का प्रयास कीजिए।

उत्तर- छात्र स्वयं करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर- ‘पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश’ के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि पर्वतीय प्रदेश की वर्षा ऋतु में प्रकृति में क्षण-क्षण में बदलाव आता रहता है। वहाँ अचानक सूर्य बादलों के पीछे छिप जाता है। बादल गहराते ही वर्षा होने लगती है। चारों ओर धुआँ-धुआँ-सा छा जाता है। पल-पल में हो रहे इस परिवर्तन को देखकर लगता है कि प्रकृति अपना वेश बदल रही है।

प्रश्न 2. कविता में पर्वत को कौन-सा मानवीय कार्य करते हुए दर्शाया गया है?

उत्तर- ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में वर्णित पर्वत अत्यंत ऊँचा और विशालकाय है। पर्वत पर हज़ारों फूल खिले हैं। पर्वत के चरणों के पास ही स्वच्छ जल से भरा तालाब है। पर्वत इस तालाब में अपनी परछाई निहारते हुए आत्ममुग्ध हो रहा है। उसका यह कार्य किसी मनुष्य के कार्य के समान है।

प्रश्न 3. पर्वतीय प्रदेश में स्थित तालाब के सौंदर्य का चित्रण कीजिए।

उत्तर- पर्वतीय प्रदेश में पहाड़ की तलहटी में एक विशाल आकार का तालाब है। वहाँ होने वाली वर्षा के जल से यह तालाब परिपूरित रहता है। तालाब के पास ही विशालकाय पर्वत है। इसकी परछाई इसके पानी में उसी तरह दिखाई देती है जैसे साफ़ दर्पण में कोई वस्तु दिखाई देती है।

प्रश्न 4. पर्वत से गिरने वाले झरनों की विशेषता लिखिए।

उत्तर- पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में पर्वत के सीने पर झर-झर करते हुए झरने गिर रहे हैं। इन झरनों की ध्वनि सुनकर ऐसा लगता है, जैसे ये पर्वतों का गौरवगान कर रहे हों। इन झरनों का सौंदर्य देखकर नस-नस में उत्तेजना भर जाती है। ये पर्वतीय झरने झागयुक्त हैं जिन्हें देखकर लगता है कि ये सफ़ेद मोतियों की लड़ियाँ हैं।

प्रश्न 5. पर्वतों पर उगे पेड़ कवि को किस तरह दिख रहे हैं?

उत्तर- पर्वतों पर उगे पेड़ देखकर लगता है कि ये पेड़ पहाड़ के सीने पर उग आए हैं जो मनुष्य की ऊँची-ऊँची इच्छाओं की तरह हैं। ये पेड़ अत्यंत ध्यान से अपलक और अटल रहकर शांत आकाश की ओर निहार रहे हैं। शायद ये भी अपनी उच्चाकांक्षा को पूरा करने का उपाय खोजने के क्रम में चिंतनशील हैं।

प्रश्न 6. कविता में पर्वत के प्रति कवि की कल्पना अत्यंत मनोरम है-स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने पर्वत के प्रति अत्यंत सुंदर कल्पना की है। विशालकाय पहाड़ पर खिले फूलों को उसके हज़ारों नेत्र माना है, जिनके सहारे पहाड़ विशाल दर्पण जैसे तालाब में अपना विशाल आकार देखकर मुग्ध हो रहा है। अचानक बादलों के घिर जाने पर यही पहाड़ अदृश्य-सा हो जाता है तब लगता है कि पहाड़ किसी विशाल पक्षी की भाँति अपने काले-काले पंख फड़फड़ाकर उड़ गया हो।

प्रश्न 7. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना किससे की गई है और क्यों?

उत्तर- ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में तालाब की तुलना स्वच्छ विशाल दर्पण से की गई है क्योंकि-

* तालाब का आकार बहुत बड़ा है।

* तालाब का जल अत्यंत निर्मल और साफ़ है।

* तालाब के इस स्वच्छ जल में पर्वत अपना महाकार देख रहा है।

प्रश्न 8. पर्वतीय प्रदेश में उड़ते बादलों को देखकर कवि ने क्या नवीन कल्पना की है?

उत्तर- पर्वतीय प्रदेश में बादल इधर-उधर उड़ते फिर रहे हैं। इन बादलों से वर्षा होने से तालाब में धुआँ उठने लगा। पर्वत और झरने अदृश्य होने लगे। शाल के पेड़ अस्पष्ट से दिखने लगे। इन सारे परिवर्तनों के मूल में बादल थे। इन्हें उड़ता देख कवि ने इंद्र यान के रूप में इनकी कल्पना की, जिनमें बैठकर इंद्र अपना मायावी जाल फैला रहा था। कवि की यह कल्पना सर्वथा नवीन है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कवि के देखते-देखते अचानक कौन-सा परिवर्तन हुआ जिससे शाल के वृक्ष भयाकुल हो गए?

उत्तर- पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में कवि ने देखा कि आकाश में काले-काले बादल उठे और नीचे की ओर आकर पर्वत, पेड़ तथा तालाब आदि को घेर लिया, जिससे निम्नलिखित परिवर्तन हुए-

* ऐसा लगा जैसे पहाड़ चमकीले भूरे पारद के पंख फड़फड़ाकर उड़ गया।

* पहाड़ पर स्थित झरने अदृश्य हो गए।

* झरनों का स्वर अब भी सुनाई दे रहा है।

* मूसलाधार वर्षा होने लगी, जिससे ऐसा लगा कि धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।

पर्वतीय प्रदेश में अचानक हुए इन परिवर्तनों को देखकर शाल के पेड़ भयाकुल हो उठे।

प्रश्न 2. पर्वतीय प्रदेश में इंद्र अपनी जादूगरी किस तरह दिखा रहा था?

उत्तर- पर्वतीय प्रदेश में अचानक बादल छाने और धुंध उठने से वातावरण अंधकारमय हो गया। इससे पर्वत अदृश्य हो गए। पहाड़ पर बहते झरते दिखने बंद हो गए। झरनों की आवाज़ अब भी आ रही थी। अचानक जोरदार वर्षा होने लगी। बढ़ती धुंध में शाल के पेड़ ओझल होने लगे। ऐसा लगा, ये पेड़ कटकर धरती में धंसते जा रहे हैं। अचानक तालाब में धुआँ ऐसे उठा मानो आग लग गई हो। इस तरह अपनी जादूगरी दिखाते हुए इंद्र बादलों के विमान पर बैठकर घूम रहा था। यह सब परिवर्तन इंद्र अपनी जादूगरी से दिखा रहा था।

प्रश्न 3. पर्वतीय प्रदेश में कुछ पेड़ पहाड़ पर उगे हैं तो कुछ शाल के पेड़ पहाड़ के पास। इन दोनों स्थान के पेड़ों के सौंदर्य में अंतर कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- पर्वतीय प्रदेश में बहुत से पेड़ पर्वत पर उगे हैं जिन्हें, देखकर लगता है कि वे पहाड़ के सीने पर उगे हैं। ये पेड़ मनुष्य की ऊँची आकांक्षाओं के समान हैं। जिस प्रकार मनुष्य अपनी आकांक्षाएँ पूरी करने के लिए चिंतित रहता है उसी प्रकार ये पेड़ भी अटल भाव से अपलक आकाश की ओर देखे जा रहे हैं; जैसे अपनी महत्त्वाकांक्षा पूर्ति का उपाय सोच रहे हों। दूसरी ओर पर्वत के पास उगे पेड़ वर्षा होने और धुंध के कारण अस्पष्ट से दिखाई दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि अचानक होने वाली मूसलाधार वर्षा और धुंध से भयभीत होकर ये पेड़ धरती में धंस गए हों।

प्रश्न 4. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता पर्वतीय सौंदर्य को व्यक्त करने वाली कविता है। प्रकृति का यह सौंदर्य वर्षा में और भी बढ़ जाता है। वर्षा काल में प्रकृति में क्षण-क्षण होने वाला परिवर्तन देखकर लगता है कि प्रकृति सजने-धजने के क्रम में पल-पल अपना वेश बदल रही है। विशाल आकार वाला मेखलाकार पर्वत है जिस पर फूल खिले हैं। पर्वत के पास ही विशाल तालाब है जिसमें पर्वत अपना सौंदर्य निहारता है और आत्ममुग्ध होता है। तालाब का जल इतना स्वच्छ है जैसे दर्पण हो। पर्वतों से गिरते झरने सफ़ेद मोतियों की लड़ियों जैसे लगते हैं।

अचानक बादल उमड़ते हैं। बादलों में पर्वत और झरने अदृश्य हो जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे पर्वत विशालकाय पक्षी की भाँति पंख फड़फड़ाकर उड़ जाते हैं। मूसलाधार वर्षा आरंभ हो जाती है। शाल के पेड़ भयभीत होकर धरती में धंसने से लगते हैं। तालाब से धुआँ उठने लगता है। ऐसा लगता है जैसे इंद्र अपनी जादूगरी दिखा रहा है।


MCQ

Question 2.

बादलों के छा जाने से क्या होता है ?

(a) कुछ दिखाई नहीं देता

(b) सब सुन्दर लगता है

(c) मौसम अच्छा होता है

(d) पर्वत अदृश्य हो जाता है

Answer-d

Question 3.

इस कविता का सौन्दर्य किस पर निर्भर करता है ?

(a) अनेक शब्दों पर

(b) चित्रमयी भाषा पर

(c) कविता की संगीतमातकता पर

(d) शब्दों पर

Answer-c

Question 4.

ऊँचे वृक्ष आसमाँ की ओर कैसे देखते हैं ?

(a) शांति से

(b) चुप चाप

(c) हँसते हुए

(d) एकटक

Answer-d

Question 5.

इस कविता में कवि ने कौन से परिवर्तनों की बात की है?

(a) खनन से होने वाले

(b) प्राकृतिक परिवर्तनों की

(c) वर्षा ऋतू की

(d) वर्षा ऋतु में होने वाले परिवर्तनों की

Answer-d

Question 6.

इस कविता में कवि ने किसका सजीव चित्रण किया है?

(a) प्रकृति का

(b) बादलो का

(c) झरनों का

(d) पावस ऋतु का

Answer-d

Question 7.

इस कविता में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है?

(a) उपमा

(b) अनुप्रास

(c) उपमान

(d) मानवीकरण अलंकार

Answer-d

Question 8.

आकाँक्षाओं को पाने के लिये किसकी आवश्यकता है?

(a) शान्त मन और चित की एकाग्रता की

(b) एकाग्रता की

(c) शान्ति की

(d) ईश्वर की

Answer-a

Question 9.

शाल के वृक्ष धरती मे क्यों धंस गये ?

(a) धरती के हिलने से

(b) धरती के घूमने से

(c) भयानक रूप से

(d) वर्षा के भयानक रूप से डर कर

Answer-d

Question 10.

पर्वत के हृदय से उठ कर वृक्ष आसमान की ओर क्यों देख रहे हैं ?

(a) क्यूंकि वे आसमान को निहार रहे है

(b) क्यूंकि उनको ऊपर देखना अच्छा लगता है

(c) क्यूंकि वे भी आसमान की तरह ऊंचा उठना चाहते हैं

(d) क्यूंकि वे सीधे खड़े हैं

Answer-c

Question 11.

कवि ने तलाब को दर्पन जैसा क्यों कहा है ?

(a) क्यूंकि दोनों पारदर्शी हैं

(b) दोनों में इंसान चेहरा देख सकता है

(c) रूपक की तरह कविता की सुन्दरता बढ़ाने के लिये

(d) सभी

Answer-d

Question 12.

सहस्त्र दृग सुमन ‘ से क्या तात्पर्य है ?

(a) हजारो पुष्प

(b) हजारो पुष्प रूपी आँखे

(c) हजारो आँखे

(d) आँखों के लिए

Answer-b

Question 13.

मेखलाकार शब्द का क्या अर्थ है ?

(a) करघनी के समान गोल

(b) गोल सा

(c) धरती के समान गोल

(d) चाँद के समान गोल

Answer-a

Question 14.

निराला जी ने पन्त जी के बारे मे क्या कहा था ?

(a) वह बहुत कमाल व्यक्ति हैं

(b) उनकी कविता की मधुर ,कोमल ,उपमायुक्त शैली बहुत ही जबरदस्त है

(c) कविता बहुत कमाल है

(d) उनकी कविता मधुर है

Answer-b

Question 15.

ये कविता किसकी अनुभूति देती है ?

(a) सौन्दर्य

(b) प्रकृति

(c) प्राकृतिक दृश्य

(d) प्राकृतिक सौन्दर्य

Answer-d

Question 16.

पंत जी को भारत सरकार ने कब पद्माभूषण से सम्मानित किया ?

(a) १९६० में

(b) १९६२ में

(c) १९६३ में

(d) १९६१ में

Answer-d

Question 17.

जीविका के क्षेत्र में पंत जी किससे जुड़े ?

(a) उदयशंकर संस्कृति केंद्र से

(b) संस्कृति से

(c) संस्कृति केंद्र से

(d) केंद्र से

Answer-a

Question 18.

पन्त की आरम्भिक कविताओ मे क्या झलकता है ?

(a) प्रकृति प्रेम और रहस्यवाद

(b) प्रकृति

(c) सौन्दर्य

(d) प्रेम

Answer-a

Question 19.

पन्त किसके लिये प्र्मुकः स्तम्ब् रूप माने जाते हैं ?

(a) स्तंब्वाद के लिये

(b) छायावाद के लिये

(c) अपने व्यक्तित्व के लिये

(d) रूप सौंदर्य के लिए

Answer-b

Question 20.

सुमित्रानन्दन पन्त ने कविता कब लिखनी शुरु की ?

(a) बचपन मे

(b) विद्यालय मे

(c) शहर मे

(d) कोई नहीं

Answer-a

Question 21.

‘रव शेष रह गए हैं निर्झर’ का क्या अर्थ है?

(a) केवल झरना शेष रह गया है

(b) झरने ने आवाज करनी बंद कर दी है

(c) झरने दिखाई देने बंद हो गए; उनकी आवाज गूंजती शेष रह गई

(d) झरनों के अवशेष दिखाई देते हैं

Answer-c

Question 22.

‘उड़ गया अचानक लो, भूधर फड़का अपार पारद के पर’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

(a) श्वेत और चमकीले बादल आकाश में छा गए

(b) अचानक पर्वत उड़ गया

(c) काले-काले बादल बरसने लगे

(d) पर्वत के टूटने को पर्वत का उड़ना कहा है

Answer-a

Question 23.

‘धँसकर धरा में सभय शाल’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

(a) शाल के वृक्ष अत्यधिक बारिश के कारण धरती में धंस गए

(b) शाल के वृक्ष टूट गए और धरती पर पड़े हैं

(c) शाल के वृक्ष दिखाई नहीं देते क्योंकि आकाश में धूल छा गई है

(d) शाल के पेड़ बादलों के झुंड में फँसे ऐसे लगते हैं मानो भयभीत होकर धरा में धंस गए हों

Answer-d

Question 24.

‘दर्पण-सा फैला है विशाल’ में अलंकार है

(a) उपमा अलंकार

(b) यमक अलंकार

(c) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार

(d) उत्प्रेक्षा अलंकार

Answer-a

Question 25.

‘पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश’ से क्या तात्पर्य है?

(a) वर्षा ऋतु में पर्वत का सौंदर्य क्षण-क्षण में बदलता रहता है

(b) वर्षा ऋतु में नदी का सौंदर्य पल-पल बदल रहा है

(c) वर्षा ऋतु में फूल मुरझा गए थे

(d) इनमें से कोई नहीं

Answer-a

Question 26.

पहाड़ों की छाती पर झरने कैसे प्रतीत हो रहे हैं?

(a) वृक्षों के समान सुंदर प्रतीत हो रहे हैं

(b) विशाल नदियों के समान प्रतीत हो रहे हैं

(c) मोती की लड़ियों के समान सुंदर प्रतीत हो रहे हैं

(d) इनमें से कोई नहीं

Answer-c

Question 27.

‘झरने के झर-झर स्वर’ में कवि ने क्या कल्पना की है?

(a) मानो ये झरने पर्वत की महानता का गुणगान कर रहे हैं

(b) मानो झरने तालियाँ बज रहे हों

(c) मानो ये झरने पर्वत को स्नान करा रहे हों

(d) इनमें से कोई नहीं

Answer-a

Question 28.

‘मद में नस-नस उत्तेजित कर’ से क्या तात्पर्य है?

(a) झरने मस्ती में उत्तेजित होकर गा रहे हों

(b) झरनों की नस-नस में मस्ती भरी है

(c) झरने ऊँची-ऊँची आवाज़ में पर्वत का गुणगान कर रहे हैं

(d) झरने के स्वर को सुनकर दर्शकों की नस-नस में उत्तेजना व मस्ती भर जाती है।

Answer-d

Written by Rohit Yadav

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