मंगलेश डबराल (जीवन परिचय)
मंगलेश डबराल का जन्म सन् 1948 में टिहरी गढ़वाल ‘(उत्तरांचल) के काफलपानी गाँव में हुआ और शिक्षा-दीक्षा हुई देहरादून में। दिल्ली आकर हिंदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद वे भोपाल में भारत भवन से प्रकाशित होने वाले पूर्वग्रह में सहायक संपादक हुए। इलाहाबाद
और लखनऊ से प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की। सन् 1983 में जनसत्ता अखबार में साहित्य संपादक का पद संभाला। कुछ समय सहारा समय में संपादन कार्य करने के बाद आजकल वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हैं। मंगलेश डबराल के चार कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं
और आवाज़ भी एक जगह है। साहित्य अकादेमी पुरस्कार, पहल सम्मान से सम्मानित मंगलेश जी की ख्याति अनुवादक के रूप में भी है। मंगलेश जी की कविताओं के भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, स्पानी, पोल्स्की और बल्गारी भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं।
कविता के अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति के सवालों पर नियमित लेखन भी करते हैं। मंगलेश की कविताओं में सामंती बोध एव पँजीवादी छल-छदम दोनो का प्रतिकार है। वे यह प्रतिकार किसी शोर-शराबे के साथ नहीं बल्कि प्रतिपक्ष में एक सुंदर सपना रचकर करते हैं। उनका सौंदर्यबोध सूक्ष्म है और भाषा पारदर्शी।
मंगलेश डबराल पद व उनके अर्थ
1. मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीने काल से
संगतकार कविता का भावार्थ :- कवि अपनी इन पंक्तियों में कहता है कि जब मुख्य गायक अपने चट्टान जैसे भारी स्वर में गाता है, तब संगतकार हमेशा उसका साथ देता है। संगतकार की आवाज बहुत ही कमजोर, कापंती हुई प्रतीत हो रही है। लेकिन फिर भी वह बहुत ही मधुर थी, जो मुख्य गायक की आवाज के साथ मिलकर उसकी प्रभावशीलता को और बढ़ा देती है। कवि को ऐसा लगता है कि यह संगतकार गायक का कोई बहुत ही करीब का रिश्तेदार या जान-पहचान वाला है, या फिर ये उसका कोई शिष्य है, जो कि उससे गायकी सीख रहा है। इस प्रकार, वह बिना किसी की नजर में आए, निरंतर अपना कार्य करता रहता है।
2. गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुअ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था।
संगतकार कविता का भावार्थ :- इन पंक्तियों में कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि जब कोई महान संगीतकार अपने गाने की लय में डूब जाता है, तो उसे गाने के सुर-ताल की भनक नहीं पड़ती और वह कभी-कभी अपने गाने में कहीं भटक-सा जाता है। आगे सुर कैसे पकड़ना है, यह उसे समझ नहीं आता और वह उलझ-सा जाता है।
ऐसी दुविधा के समय में भी उसका सहायक या संगतकार निरंतर अपनी कोमल एवं सुरीली आवाज़ में संगीत के सुर-ताल को पकड़े रहता है। वह मुख्य गायक को कहीं भटकने नहीं देता और संगीत के सुर-ताल को वापस पकड़ने में उसकी सहायता करता है। इस दौरान ऐसा लगता है, मानो मुख्य गायक अपना कुछ सामान पीछे छोड़ते हुए चला जाता है और संगतकार उसे समेटते हुए उसके साथ आगे बढ़ता है। इससे मुख्य लेखक को उसके बचपन की याद आ जाती है, जब वह संगीत सीखा करता था और अक्सर स्वर भूल जाया करता था।
3. तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढ़ाँढ़स बँधाता
कहीं से चला आता है संगीतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
संगतकार कविता का भावार्थ :- इन पंक्तियों में कवि कहता है कि जब मुख्य गायक ऊँचे स्वर में गाता-गाता थक जाता है और उसके अंदर गाने की इच्छा एवं ऊर्जा समाप्त हो जाती है। उसके स्वर नीचे आने लगते हैं, तब उस वक्त मुख्य गायक का हौसला बढ़ाने और उसके स्वर को फिर से ऊपर उठाने के लिए सहायक का स्वर पीछे से सुनाई देता है। यह सुनकर मुख्य गायक में फिर से ऊर्जा का संसार हो जाता है और वह अपनी धुन में गाता चला जाता है। कभी-कभी तो वह सिर्फ इसलिए गाता है, मानो मुख्य गायक को यह अहसास दिला रहा हो कि वह अकेला नहीं है और कभी कभी एक राग को दोबारा भी गाया जा सकता है।
4. और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
संगतकार कविता का भावार्थ : – इस पंक्ति में कवि ने एक सहायक के त्याग को दिखाया है, जो खुद की प्रसिद्धि एवं मान-सम्मान की परवाह किए बिना मुख्य गायक के साथ गाता चला जाता है। उसे इस बात की चिंता भी रहती है कि कहीं वह मुख्य गायक से ज्यादा अच्छे स्वर में ना गा दे और इसी कारणवश उसकी आवाज में एक संकोच या हिचक साफ़ सुनाई देती है। वह हमेशा अपनी आवाज़ मुख्य गायक से धीमी रखने की कोशिश करता है एवं अपनी आवाज को मुख्य गायक की आवाज से ज्यादा उठने नहीं देता। इसे उसकी विफलता नहीं, बल्कि उसका बड़प्पन एवं मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
( प्रश्न – उत्तर. )
1. संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है ?
उत्तर:- संगतकार के माध्यम से कवि किसी भी कार्य अथवा कला में लगे सहायक कर्मचारियों और कलाकारों की ओर संकेत करना चाह रहा है। सहायक कलाकार अपनी प्रसिद्धि की परवाह किए बिना मुख्य कलाकार के महत्व को बढ़ाने का कार्य करते हैं|
2. संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं ?
उत्तर:- संगतकार जैसे व्यक्ति निम्नलिखित क्षेत्रों में मिलते हैं; जैसे –
• सिनेमा के क्षेत्र में – फिल्म में अनेकों सह कलाकार और स्टंटमैन|
• नृत्य के क्षेत्र में – अन्य सह नर्तक|
• भवन निर्माण क्षेत्र में -मज़दूर|
• राजनीति के क्षेत्र में – सहायक उपनेता और कार्यकर्ता
3. संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक – गायिकाओं की मदद करते हैं?
उत्तर:- संगतकार निम्नलिखित रूपों में संगतकार की मदद करते हैं –
• वे अपनी आवाज़ और गूँज को मुख्य गायक की आवाज़ में मिलाकर उनकी आवाज़ का बल बढ़ाने का काम करते हैं|
• जब मुख्य गायक गायन की गहराई में चले जाते हैं तब वे स्थायी पंक्ति को पकड़कर मुख्य गायक को वापस मूल स्वर में लाते हैं|
• वे मुख्य गायक की थकी, टूटती-बिखरती आवाज़ को बल देकर उसे अकेला होने या बिखरने से बचाते हैं|
4. भाव स्पष्ट कीजिए –
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर:- संगतकार जब गाता है तब उसके आवाज़ एक स्पष्ट रूप से एक घबराहट सुनाई देता है| वो होता है अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से कभी ऊँचा नहीं उठने देने का| कवि के अनुसार इसे संगतकार की असफलता नहीं माननी चाहिए चूँकि संगतकार अगर चाहे तो ऐसा कर सकता है परन्तु मुख्य गायक की आवाज़ का महत्व बरकरार रखने के लिए वो ऐसा करता है| यह संगतकार की महानता का परिचय है|
5. किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:- किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से योगदान देते हैं। एक प्रसिद्ध गायक के पीछे उसमें संगीत निर्देशक, गीतकार, संगीत देने वाले, सह-गायक, निर्माता जैसे लोगों की भी भूमिका अहम होती है| उसके प्रसिद्धि में इन सबकी मेहनत भी सम्मिलित होती है|
6. कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- जब मुख्य गायक का गायन तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचता है तब उसके स्वर बिखरने लगते हैं, शक्ति समाप्त होने लगती है| ऐसे समय में संगतकार उसके पीछे मुख्य धुन को दोहरा कर इस बिखराव को संभालता है और उसकी शक्ति और उत्साह को वापस लाने में योगदान देता है|
7. सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?
उत्तर:- सफलता पर पहुँच कर यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं तब उसे सहयोगी हौंसला, साहस और उत्साह बढ़ाकर उसे संभालते हैं| उसकी कमियों को बताते हैं और हो सके तो उन्हें ठीक करते हैं| पिछली असफलता को भूलने में मदद करते हैं और आगे बढ़ने को प्रेरित करते हैं|
MCQ
Question 2.
किसके गायन को सफल और प्रभावी बनाने में उसके संगतकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है?
(a) मुख्य गायक के
(b) श्रोता के
(c) छात्र के
(d) इनमें से कोई नहीं
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Question 3.
मुख्य गायक से अधिक ऊँचे स्वर में गाना किसके लक्ष्य के विरूद्ध है?
(a) मनुष्यों के
(b) नेताओं के
(c) कवि के
(d) संगतकार के
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Question 4.
कवि संगतकार द्वारा अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर से कम रखने को क्या मानता है?
(a) समझदारी
(b) ईमानदारी
(c) चालाकी
(d) मनुष्यता
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Question 5.
मुख्य गायक के बुझते स्वर को कौन उठाता है?
(a) कवि
(b) संगतकार
(c) सहयोगी गायक
(d) इनमें से कोई नहीं
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Question 6.
मुख्य गायक को धीरज बँधाने का काम प्रायः कौन करता है?
(a) उसकी माँ
(b) श्रोता
(c) संगतकार
(d) इनमें से कोई नहीं
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Question 7.
मुख्य गायक की गरजदार आवाज में अपनी गूँज मिलाने का काम किसका है?
(a) संगतकार
(b) कवि
(c) गायक का छोटा भाई
(d) शिष्य
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Question 8.
मुख्य गायक की कैसी आवाज को बल देकर संगतकार सहयोग देते हैं?
(a) मधुर
(b) कर्कश
(c) टूटती-बिखरती
(d) इनमें से कोई नहीं
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Question 9.
किसके आवाज में हिचक सुनाई देती है?
(a) मुख्य गायक के
(b) संगतकार के
(c) अभिनेता के
(d) इनमें से कोई नहीं
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Question 10.
तारसप्तक में गाने के कारण कवि को कैसा अनुभव होता है?
(a) बहुत ख़ुशी होती है|
(b) थक जाता है|
(c) उत्साह से भर जाता है|
(d) गाने की इच्छा समाप्त हो जाती है|
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